MyBlog


View My Stats

सोमवार, 29 अगस्त 2011

ईद




ईद , मीठी ईद !

हो गयी महीन से मुस्कान वाले

चन्द्रमा की दीद !

ईद , मीठी ईद !!




बारिश दुआ की ,

रहमत ख़ुदा की ,

आमीन ! सब पर रौशनी करता रहे ख़ुर्शीद !

ईद मीठी, ईद मीठी , ईद मीठी , ईद !!

ईद , मीठी ईद !!


- संकर्षण गिरि

शनिवार, 27 अगस्त 2011

किससे मैं उम्मीद करूँ ...


किससे मैं उम्मीद करूँ , समझेगा मेरी कौन बात !


कौन चाहता है मुझ पर मुस्कान खिले ,
किसको धुन है नींद चैन की सोऊँ मैं ?
है कद्र किसे जज़्बात , मेरे अहसासों की ,
कौन मुझे गलबाँही दे जब रोऊँ मैं ?
शुष्क पीत तरु की फुनगी , पतझर में जैसे फूल - पात !
किससे मैं उम्मीद करूँ , समझेगा मेरी कौन बात ! !



हूँ विवश , ह्रदय का ताप सहन करता हूँ ,
निज स्वप्न - हविष से यज्ञ - हवन करता हूँ ;
खुश होता है जग रौंद मेरी अभिलाषा को ,
मैं यूँ अपना अस्तित्व ग्रहण करता हूँ !
है दबा हुआ मेरे भीतर एक भीषण झंझावात !
किससे मैं उम्मीद करूँ , समझेगा मेरी कौन बात !!

-- संकर्षण गिरि

रविवार, 14 अगस्त 2011

चुभन


चुभती हुई यादें...

चुभती हुई कुछ यादें ,
अचानक ज़ेहन में कर ,
कर जाती हैं मन को खिन्न...

चुभती हुई यादें ,
बार - बार उन्हीं पलों में ले जाती हैं मुझे ,
जीने को मजबूर करती हैं
फिर से वही लम्हे !

और टूट कर
फिर से बिखर जाता हूँ मैं ;
दग्ध ह्रदय लिए
वर्तमान में वापस आता हूँ मैं

चुभती हुई यादें
ज़ख्म बन कर चिपक जाती हैं ... ज़िन्दगी से ...
और छिड़कती रहती हैं नमक ,
स्वयं पर ही ,
ताकि ज़ख्म हरा बना रहे... हमेशा !
और उनके अस्तित्व को
नज़र लगे किसी शै की !

चुभती हुई यादों पर ,
मेरा कोई वश नहीं चल पता

स्वतः आती हैं वो ,
मेरे अस्तित्व को
छिन्न भिन्न कर लेने के बाद ,
आहिस्ते से
लोप हो जाती हैं वो !


- संकर्षण गिरि

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

बहन के प्रति...




मेरे जीवन में आयीं तुम ,

भाई को उसकी बहन मिली ;

बहन का भाई से अटूट स्नेह का रिश्ता है ,

भाई के लिए उसकी बहन एक फ़रिश्ता है...!



- संकर्षण गिरि