निवारण
मेरी बुद्धि पर अंधकार का ये जो आवरण है !
यही मेरे पतन का एकमात्र कारण है !!
सहिष्णुता से वैर , इन्द्रियाँ वश में नहीं !
स्वजनों से दूर करता मुझे मेरा आचरण है !!
सृजन की अभिलाषा मूर्त रूप न ले सकी !
मेरी अकर्मण्यता इसका एकमात्र उदाहरण है !!
रूप की तृष्णा ने जीवन को मरुस्थल कर दिया !
मृग की सौंदर्य - पिपासा क्षणिक नहीं , आमरण है !!
ज्ञान - चक्षुओं के बस खुलने की देर है !
मेरी समस्त बुराइयों का इनमें निवारण है !!
- संकर्षण गिरि