आस अभी भी , प्यास अभी भी ,
जीने का अहसास अभी भी !
तुमको पा लेने की ख्वाहिश ,
खामोशी में आवाज़ अभी भी !मैं हूँ कि जीता जाता हूँ , राह तके श्मशान अभी भी !एक गुनाह किया था मैंने , आँखों से बरसात अभी भी !'गिरि' को खुद कि खबर नहीं है , लेकिन सबकी याद अभी भी ! - संकर्षण गिरि