वो जो नहीं दीखता , उसकी उपासना , और जो सामने है , उसकी अवहेलना करते हैं , परलोक सुधारने के लिए हम न जाने क्या क्या भेस धरते हैं...!
कोई पत्थर की पूजा करता है , कोई बुतफ़रोश है , कोई अहिंसा का पुजारी है , कोई हिंसा के नाम पर ख़ामोश है ! अलग अलग धर्मों के अलग अलग पंगे हैं , ईश्वर के अल्लाह के नियम कितने बेढंगे हैं ! हम स्वर्ग या जन्नत की लालसा में मरते हैं ...
ऊपर वाला अब एक नहीं , इंसान अब नेक नहीं , हिन्दू और मुस्लिम के बीच दंगे आम हैं , तो क्या ईश्वर और अल्लाह का भी यही काम है ? धर्म के ढकोसले आदमी को आदमी से दूर करते हैं !
बहुत बढिया. लिखते रहो. अब अप्ने ब्लोग को hinkhoj.com पर डाल दो. साथ ही statcounter.com पर भी कर लो.
जवाब देंहटाएंits is one of the good bolg about god ...... i like it very much. keep writing ......
जवाब देंहटाएं