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बुधवार, 26 मई 2010

लुटेरा



छीन ली उसने
चेहरे की हमेशा खिली रहने वाली मुस्कान ,

बड़ी बेरहमी से खींच ली
गले में लटकी हुई साँसों की डोर ;

फफक कर रो पड़े सब
जिंदगी को मौत में तब्दील होता देख,

लूट कर सबकी खुशियाँ
गुम हो गया वो आसमान में
घने काले बादलों के बीच !

कोई बताये
कि ईश्वर लुटेरा है क्या ?


-- संकर्षण गिरि

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