चलता ही रहा , न रुकने का अवकाश मिला !
आसान रहा तो कभी रास्ता सख्त रहा ,
खोया पाया सोया जागा और मस्त रहा ,
जहाँ पर ज़मीं ख़त्म हो गयी वहीं आकाश मिला !
चलता ही रहा , न रुकने का अवकाश मिला !
दरिया को लाँघा , आँधी को दी राह और ,
एक ठिकाना नहीं , रहा मैं कई ठौर ,
गिरि की तलाश थी , तूर मिला कैलाश मिला !
चलता ही रहा , न रुकने का अवकाश मिला !
आसान रहा तो कभी रास्ता सख्त रहा ,
खोया पाया सोया जागा और मस्त रहा ,
जहाँ पर ज़मीं ख़त्म हो गयी वहीं आकाश मिला !
चलता ही रहा , न रुकने का अवकाश मिला !
दरिया को लाँघा , आँधी को दी राह और ,
एक ठिकाना नहीं , रहा मैं कई ठौर ,
गिरि की तलाश थी , तूर मिला कैलाश मिला !
चलता ही रहा , न रुकने का अवकाश मिला !
-- संकर्षण गिरि
कई बार गिरा, और फिर-फिर उठा किया
जवाब देंहटाएंकभी साथ मिला, कभी टूटा मिटा किया
साँसें पूरी होते ही, पुनः कहीं से साँस मिला
चलता ही रहा, ना रुकने का अवकाश मिला