ईश्वर के टुकड़े
वो जो नहीं दीखता , उसकी उपासना ,और जो सामने है , उसकी अवहेलना करते हैं , परलोक सुधारने के लिए हम न जाने क्या क्या भेस धरते हैं...!कोई पत्थर की पूजा करता है ,कोई बुतफ़रोश है , कोई अहिंसा का पुजारी है , कोई हिंसा के नाम पर ख़ामोश है !अलग अलग धर्मों के अलग अलग पंगे हैं ,ईश्वर के अल्लाह के नियम कितने बेढंगे हैं !हम स्वर्ग या जन्नत की लालसा में मरते हैं ... ऊपर वाला अब एक नहीं , इंसान अब नेक नहीं ,हिन्दू और मुस्लिम के बीच दंगे आम हैं , तो क्या ईश्वर और अल्लाह का भी यही काम है ?धर्म के ढकोसले आदमी को आदमी से दूर करते हैं !-- संकर्षण गिरि
बहुत बढिया. लिखते रहो. अब अप्ने ब्लोग को hinkhoj.com पर डाल दो. साथ ही statcounter.com पर भी कर लो.
जवाब देंहटाएंits is one of the good bolg about god ...... i like it very much. keep writing ......
जवाब देंहटाएं