आस अभी भी... प्यास अभी भी...
MyBlog
View My Stats
बुधवार, 26 मई 2010
लुटेरा
छीन ली उसने
चेहरे की हमेशा खिली रहने वाली मुस्कान ,
बड़ी बेरहमी से खींच ली
गले में लटकी हुई साँसों की डोर ;
फफक कर रो पड़े सब
जिंदगी को मौत में तब्दील होता देख,
लूट कर सबकी खुशियाँ
गुम हो गया वो आसमान में
घने काले बादलों के बीच !
कोई बताये
कि ईश्वर लुटेरा है क्या ?
-- संकर्षण गिरि
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें