आस अभी भी... प्यास अभी भी...
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रविवार, 30 मई 2010
साबुन
हत्यारा
नहा
रहा
था
कि
साबुन
उसकी
आँखों
में
घुस
गया
हत्यारे
ने
साबुन
फेंक
दिया
!
साबुन
मरने
वाली
चीज़
नहीं
थी
हत्यारा
गया
और
दुकानदार
को
मार
लाया
!
हत्यारे
ने
खून
के
हाथ
साबुन
से
धोये
साबुन
हत्यारे
को
भाने
लगा
!
साबुन
अपनी
जगह
बनाने
लगा
!
--
विष्णु
नागर
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